Wednesday, 7 September 2016

सिंगर व डांसर सपना चौधरी को 3 दिन बाद आया होश
















 नई दिल्ली (जेएनएन)। हाल ही में खुदकुशी की कोशिश करने वाली हरियाणा की मशहूर सिंगर व डांसर सपना चौधरी को लेकर नए राज सामने आ रहे हैं। अपनी खूबसूरत दिलकश अदाओं से युवाओं को अपना दीवाना बनाने वाली सपना के बारे में उनकी बहन का कहना है कि सपना को जानबूझ तंग किया जा रहा है।

सपना की बहन का कहना है कि यह गाना बहुत पुराना है, अगर इस गाने से किसी को कोई आपत्ति है, तो फिर दूसरे कलाकार क्यों गाते हैं। जबकि शिकायत करने वालों का तर्क है एक खास जाति का सपना ने ‘रागनी’ गाकर अपमान किया है, जातिसूचक गाली दी है।

परिवार वाले कहते हैं, सपना माफी मांग चुकी थी रागनी के लिए लेकिन फिर भी कमेंट आते रहे। बर्दाश्त नहीं कर पाई सपना चौधरी। अब पुलिस सतपाल तंवर से भी पूछताछ की तैयारी में है क्योंकि सुसाइड नोट में उनका नाम है।

खुदकुशी की यह बताई वजह

एक गाना गाने के बाद सपना के खिलाफ सोशल मीडिया पर काफी भद्दे कमेंट्स किए जा रहे थे। इन्हीं आलोचनाओं से परेशान होकर उन्होंने जहर खा कर जान देने की कोशिश की। फिलहाल वह अस्पताल में भर्ती हैं। सपना ने सुसाइड से पहले 6 पन्नों का एक सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें उन्होंने अपने तक्लीफों को बयां करते हुए लिखा है कि वह किस कदर परेशान थीं।

उन्होंने लिखा कि सोशल वेबसाइट पर मेरे खिलाफ अभियान छेड़ा गया है, तमाम तरह की गलियां दी जा रही है और भद्दे-भद्दे कॉमेंट किए जा रहे हैं। इस बदनामी से मैं तंग आ गई हूं। मेरी आत्महत्या करने की वजह गुड़गांव का रहने वाला सतपाल तंवर है।

इन 6 पन्नों की चिट्ठी में सपना ने अपनी जिंदगी की तहों को खोला है।

सपना का रहता है स्टेज पर जलवा

सपना जब भी स्टेज पर परफॉर्म करतीं तो खूब तालियों की गड़गड़ाहट सुनने को मिलती, लेकिन एक मामले ने उन्हें इतना तोड़ दिया था कि वो जिंदगी से ही नफरत कर बैठी थी। अपनी चिट्टी में वो लिखती हैं कि मेरी आत्महत्या करने की वजह गुड़गांव का रहने वाला सतपाल तंवर है।

फरवरी महीने में मैंने एक गीत 'रागनी' गाई थी, जो कि वहां के लोगों की फरमाईश थी। मुझसे पहले कई कलाकारों ने इसे गाया है। जिसकी रिकॉर्डिंग मेरी मां ने पुलिस को दे रखी है। उन्हीं की रागनी सुनकर मैंने लिखी और गाई। मैं कलाकार हूं, मुझे पता नहीं था जातिवाद शब्द का इस्तेमाल करना जुर्म है। मुझसे पहले किसी के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं की गई लेकिन मेरे खिलाफ सतपाल तंवर ने SC/ST एक्ट का मुकदमा दर्ज कराया। सोशल वेबसाइट पर मेरे खिलाफ अभियान छेड़ा गया है, तमाम तरह की गलियां दी जा रही हैं और भद्दे भद्दे कॉमेंट किए जा रहे हैं। इस बदनामी से मैं तंग आ गई हूं।

सपना ने पुराने बयान को दोहराया

नजफगढ़ स्थित निजी अस्पताल में भर्ती रागनी गायिका व डांसर सपना चौधरी ने पुलिस को दिए बयान में उन्हीं बातों को दोहराया है जो उसने खुदकशी की कोशिश से पूर्व सुसाइड नोट में लिखी थी। फिलहाल सपना अस्पताल में ही भर्ती हैं। छावला थाना पुलिस अब उन व्यक्तियों से पूछताछ कर सकती है जिन्हें सपना ने खुदकशी करने की वजह बताई थी। छानबीन में पुलिस आईटी सेल की भी मदद लेने का मन बना रही है।

खुदकशी की कोशिश के बाद से रविवार से ही भर्ती रागिनी गायिका सपना चौधरी की हालत अब खतरे से बाहर है। अस्पताल में भर्ती होने के बाद से ही पुलिस सपना का बयान लेने की कोशिश में जुटी थी। लेकिन सोमवार तक उसकी स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह बयान ले सके।

मंगलवार को जब उसकी हालत में सुधार हुआ तो पुलिस ने सपना का बयान लिया। पुलिस अधिकारी के अनुसार सपना ने उन्हीं बातों को दोहराया है जो सुसाइड नोट में लिखी गई थी। उन्होंने कोई नई बात नहीं बताई है।

रागनी गायिका के खिलाफ एक और मामला दर्ज

रागनी गायिका सपना चौधरी सहित अन्य के खिलाफ एक और मामला खेड़कीदौला थाने में निगाहें संगठन के अध्यक्ष नवाब सतपाल तंवर ने मंगलवार को दर्ज कराया है। इस बार चौधरी व अन्य को जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया गया है। एक महीने पहले सेक्टर 29 थाने में रागनी के दौरान जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करने के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था।

Monday, 27 June 2016

ये वो संकेत हैं जो बताते हैं कि अब मौत करीब है!

जीवन और मौत को लेकर लोग हमेशा चिंतित रहते हैं। भले ही विज्ञान ने कितनी ही तरक्की कर ली हो लेकिन मौत को वश में कर पाना उसके लिए भी मुमकिन नहीं है। लेकिन भगवान शंकर से संबंधित शिवपुराण में ऐसी कई बातें बताई गई हैं जो मौत के आने के संकेतों की ओर इशारा करती हैं।
इसमें भगवान शिव ने माता पार्वती को मृत्यु के संबंध में कुछ विशेष संकेत बताए हैं। जिनके द्वारा जाना जा सकता है कि कितने समय में किसी व्यक्ति की मौत हो सकती है।
शिवपुराण के अनुसार जिस मनुष्य को ग्रहों के दर्शन होने पर भी दिशाओं का ज्ञान न हो, मन में बैचेनी छाई रहे, तो उस मनुष्य की मृत्यु 6 महीने में हो जाती है।

जिस व्यक्ति को अचानक नीली मक्खियां आकर घेर लें। उसकी आयु एक महीना ही शेष जाननी चाहिए।

शिवपुराण में भगवान शिव ने बताया है कि जिस मनुष्य के सिर पर गिद्ध, कौवा अथवा कबूतर आकर बैठ जाए, वह एक महीने के भीतर ही मर जाता है। ऐसा शिवपुराण में बताया गया है।

यदि अचानक किसी व्यक्ति का शरीर सफेद या पीला पड़ जाए और लाल निशान दिखाई दें तो समझना चाहिए कि उस मनुष्य की मृत्यु 6 महीने के भीतर हो जाएगी। जिस मनुष्य का मुंह, कान, आंख और जीभ ठीक से काम न करें, शिवपुराण के अनुसार उसकी मृत्यु 6 महीने के भीतर हो जाती है।

जिस मनुष्य को चंद्रमा व सूर्य के आस-पास का चमकीला घेरा काला या लाल दिखाई दे, तो उस मनुष्य की मृत्यु 15 दिन के अंदर हो जाती है। अरूंधती तारा व चंद्रमा जिसे न दिखाई दे अथवा जिसे अन्य तारे भी ठीक से न दिखाई दें, ऐसे मनुष्य की मृत्यु एक महीने के भीतर हो जाती है।
त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) में जिसकी नाक बहने लगे, उसका जीवन पंद्रह दिन से अधिक नहीं चलता। यदि किसी व्यक्ति के मुंह और कंठ बार-बार सूखने लगे तो यह जानना चाहिए कि 6 महीने बीत-बीतते उसकी आयु समाप्त हो जाएगी।

जब किसी व्यक्ति को जल, तेल, घी तथा दर्पण में अपनी परछाई न दिखाई दे, तो समझना चाहिए कि उसकी आयु 6 माह से अधिक नहीं है। जब कोई अपनी छाया को सिर से रहित देखे अथवा अपने को छाया से रहित पाए तो ऐसा मनुष्य एक महीने भी जीवित नहीं रहता।
जब किसी मनुष्य का बायां हाथ लगातार एक सप्ताह तक फड़कता ही रहे, तब उसका जीवन एक मास ही शेष है, ऐसा जानना चाहिए। जब सारे अंगों में अंगड़ाई आने लगे और तालू सूख जाए, तब वह मनुष्य एक मास तक ही जीवित रहता है।
जिस मनुष्य को ध्रुव तारा अथवा सूर्यमंडल का भी ठीक से दर्शन न हो। रात में इंद्रधनुष और दोपहर में उल्कापात होता दिखाई दे तथा गिद्ध और कौवे घेरे रहें तो उसकी आयु 6 महीने से अधिक नहीं होती। ऐसा शिवपुराण में बताया गया है।
जो मनुष्य अचानक सूर्य और चंद्रमा को राहू से ग्रस्त देखता है (चंद्रमा और सूर्य काले दिखाई देने लगते हैं) और संपूर्ण दिशाएं जिसे घुमती दिखाई देती हैं, उसकी मृत्यु 6 महीने के अंदर हो जाती है।
शिवपुराण के अनुसार जो व्यक्ति हिरण के पीछे होने वाली शिकारियों की भयानक आवाज को भी जल्दी नहीं सुनता, उसकी मृत्यु 6 महीने के भीतर हो जाती है। जिसे आकाश में सप्तर्षि तारे न दिखाई दें, उस मनुष्य की आयु भी 6 महीने ही शेष समझनी चाहिए।
शिवपुराण के अनुसार जिस व्यक्ति को अग्नि का प्रकाश ठीक से दिखाई न दे और चारों ओर काला अंधकार दिखाई दे तो उसका जीवन भी 6 महीने के भीतर समाप्त हो जाता है।

एक ऐसा शहर जिसकी आधी आबादी करती है भूत-प्रेत से बातें

एक ऐसा शहर जिसकी आधी आबादी करती है भूत-प्रेतों से बातें – संसार का सबसे बड़ा रहस्य है मृत्यु जहां जाकर सब कुछ समाप्त हो जाता है। मृत्यु के बाद क्या है और क्या नहीं है यह एक ऐसा रहस्य है ज‌िसे ज‌ितना समझने की कोश‌िश करेंगे आप उतना ही उलझते जाएंगे क्योंक‌ि हर धर्म में मृत्यु के बाद की स्थ‌ित‌ि का अलग-अलग वर्णन क‌िया गया है।
मृत्यु के बाद की स्थ‌ित‌ि के बारे में कई वैज्ञान‌िक शोध भी क‌िए जा रहे हैं और पारामनोवैज्ञान‌िक अलग-अलग तरह के दावे करते रहे हैं। पारामनोवैज्ञान‌िकों के अनुसार मृत्यु के बाद भी कुछ अस्त‌ित्व बचा रहता है। अगर प्रयास क‌िया जाए तो मृत व्यक्त‌ि से संपर्क क‌िया जा सकता है।
मृत्यु को प्राप्त हुए व्यक्त‌ि से संपर्क करने के कई तरीके हैं ज‌िनसे परलोक गए व्यक्त‌ि को वापस अपने बीच बुला सकते हैं। मृत्यु के बाद भौत‌िक शरीर समाप्त हो जाता है, व्यक्त‌ि एक उर्जा एक आत्मा के रुप में मौजूद होता है। इसल‌िए उनसे संपर्क करने के ल‌िए एक माध्यम की जरुरत होती है।
अमेर‌िका का एक शहर ऐसा ही है जहां की आधी आबादी इस बात का दावा करती है क‌ि उनमें ऐसी शक्त‌ि मौजूद है क‌ि वह माध्यम बनकर या अन्य तरीकों से परलोक गए व्यक्त‌ि की आत्मा से संपर्क कर सकते हैं।
यहां के लोग प्रेतात्माओं से पीड़‌ित व्यक्त‌ियों का उपचार करने का भी दावा करते हैं इसल‌िए दूर-दूर से लोग यहां पारलौक‌िक शक्त‌ियों का अनुभव करने आते रहते हैं। अपनी इन्हीं खूब‌ियों के कारण इस शहर को ‘साइकिक कैपिटल’ भी कहा जाता है।
साइकिक कैपिटल की कुछ खास बातें
दुन‌िया भर में ‘साइकिक कैपिटल’ के नाम से ज‌िस शहर को जाना जाता है उस शहर का नाम है कासाडागा टाउन। माना जाता है क‌ि यहां रहने वाले ज्यादातर लोग मनोविज्ञान के जानकार हैं और मृत आत्माओं से साक्षात्कार करने का दावा करते हैं। 1875 में इस टाउन को न्यूयॉर्क के आध्यात्मिक गुरु जॉर्ज कॉल्बी ने बसाया था। धीरे-धीरे यहां लोग बसने लगे, जो खुद स्प्रिचुअल हीलर्स बन गए।
आज कासाडागा में 100 से अधिक स्प्रिचुअल हीलर्स हैं, जो मृत आत्माओं से संपर्क होने का दावा करते हैं। हर साल यहां सैकड़ों लोग दूर-दूर से बुरी आत्माओं से मुक्ति पाने के लिए आते हैं। यहां इसाईयत, दर्शन और विज्ञान के मिले-जुले आधार पर केंद्रित आध्यात्म का एक अनूठा रूप देखने को मिलता है।
यहां के स्प्रिचुअल हीलर्स टैरो कार्ड्स या हस्तरेखाओं को पढ़कर इन आत्माओं से संपर्क करने का दावा करते हैं। हर साल यहां करीब 15 हजार लोग आते हैं। यही कासाडागा की अर्थव्यवस्था का आधार भी है।
भूतों से बातें करने का दावा, क्या कहते हैं मनोवैज्ञान‌िक
इंडियन हिप्नोसिस एकेडमी के प्रमुख डा. जे पी मलिक बताते हैं कि किसी व्यक्ति को हिप्नोटाइज करके पूर्वजन्म में हुई घटनाओं को देखा जा सकता है। इतना ही नहीं अगर व्यक्ति चाहे तो वह हिप्नोसिस के माध्यम से किसी मृत आत्मा से संपर्क कर सकते हैं। यानी मध्यम के द्वारा आत्माओं से संपर्क क‌िया जा सकता है।
चेतन मन में आत्माओं से संपर्क करना मुश्किल होता है। लेकिन अचेतन मन को आत्माओं से जोड़ा जा सकता है। आत्माओं से संपर्क होने के बाद व्यक्ति उनसे अपने प्रश्न पूछ सकता है। इनका कहना है कि यह काम व्यक्ति खुद भी कर सकता है लेकिन किसी एक्सपर्ट की सलाह से करे तो बेहतर रहता है क्योंकि कई बार व्यक्ति बहुत डर जाता है। ऐसे समय में व्यक्ति को संभालने के लिए एक एक्सपर्ट की जरूरत होती है।
इन्होंने यह भी बताया कि आत्माएं जो बुलाने पर आ जाती हैं वह अपनी मर्जी से खुद ही चली जाती हैं इसलिए हिप्नोटिज्म के द्वारा आत्मओं से संपर्क करने पर यह डर नहीं रहता कि आत्मा आ गई तो लौट कर जाएगी या नहीं। ऐसे में यह अव‌िश्वनीय नहीं कहा जा सकता है क‌ि लोग आत्माओं से संपर्क कर सकते हैं।

इंसान ही नहीं जानवर भी करते हैं सुसाइड, ये घटनाएं हैं प्रमाण

आपने अभी तक इंसानों को ख़ुदकुशी करते देखा या सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जानवर भी सुसाइड कर सकते है? हैरान हो गए न! लेकिन ये सच है। आज मैं आपको इस दुनिया में हुई कुछ ऐसी घटनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जो जानवरों के सुसाइड की तरफ इशारा करती है। इन घटनाओ पर एक नजर।

जब डॉलफिन ने अपनी ट्रेनर की बाहों में तोड़ा दम

40 साल पहले डॉल्फिन ट्रेनर रिचर्ड ओबराय ने देखा कि कैथी नाम की एक डॉल्फ़िन ने 1960 के एक टीवी शो फ्लिपर में खुद को मार लिया। डॉल्फ़िंस और व्हेल्स में एक विशेषता होती है कि वे हमारी तरह सांस नहीं लेतीं, बल्कि उनकी हर एक सांस उनका एक सचेत प्रयास (conscious effort) होती है। वे जब चाहें जिंदगी समाप्त कर सकती हैं। रिचर्ड कहते हैं कि कैथी उस दिन बहुत उदास थी। वो मेरी बाहों में तैर कर आई, मेरी आंखों में देखा, एक सांस ली, फिर दूसरी नहीं ली और वो टैंक में डूब गई। इस घटना ने रिचर्ड ओबराय को डॉल्फिन ट्रेनर से एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट में बदल दिया।
एक कुत्ता जिसने सुसाइड के किए कई प्रयास, अंत में हुआ सफल

सन 1845 में इल्यूट्रेटेड लंदन न्यूज़ ने एक रिपोर्ट दी, जिसमें एक न्यूफाउंडलैंड प्रजाति के एक काले, सुन्दर डॉग की आत्महत्या का जिक्र था। उस रिपोर्ट के अनुसार उस दिन वो डॉग अवसाद में दिख रहा था, कुछ देर बाद वो पानी में कूद गया और खुद को डुबाने की कोशिश करने लगा। डॉग को बचा लिया गया और बांध दिया गया। लेकिन उसे जैसे ही दुबारा खोल गया वो फिर पानी में कूद गया। ऐसा कई बार हुआ, आखिर में कई प्रयासों के बाद वो पानी में डूब कर मर गया।

जब 28 गायों ने एल्पेस की पहाड़ी से किया सुसाइड

अगस्त 2009 में स्विट्जरलैंड में 28 गाय और बैल एक ही पहाड़ी चट्टान से कूद कर मर गए। वैसे तो एल्पाइन रीजन में इस तरह की घटना आम बात है, लेकिन तीन दिन की छोटी सी अवधि में एक ही जगह से इतनी सारी गायों का कूद कर मरना दुर्लभ घटना थी। स्थानीय लोगों के अनुसार, तुफानों की भयंकर गर्जना इसके लिए जिम्मेदार होती है और वो ही पशुओ को ऐसा करने के लिए उकसाती है।
61 व्हेल्स का न्यूजीलैंड में एक साथ सुसाइड

साल 2011 के नवम्बर माह में 61 व्हेल्स एक साथ न्यूजीलैंड के एक बीच पर आ गयी, जिनमें से केवल 18 ही बच पायी। व्हेल्स ने ऐसा क्यों किया इसका कोई स्पष्ट कारण तो पता नहीं चला, लेकिन एक थ्योरी के अनुसार जब एक व्हेल कुछ ऐसा करती है, तो बाकी भी उसका अनुसरण करती है।
जब पहाड़ी चट्टान से कूद गर्इ 1500 भेड़

साल 2005 में तुर्की के एक पहाड़ी चट्टान से लगभल 1500 भेड़ें कूद गर्इ। उनमें से 450 भेडों की मौत हो गर्इ और बाकी भेड़ें बच गई, क्योंकि पहले गिरी भेड़ों ने गद्दे का काम किया।
जब भालू ने खाना छोड़कर मौत को लगाया गले

2012 में चीन में एक स्वस्थ भालू ने 10 दिनों तक खाना नहीं खाया और मर गया। Animal rights activist का कहना है की पिछले कुछ सालो में चीन में भालुओ की मौत के ऐसे कई केस देख चुके है। भालुओ के गॉल ब्लाडर में एक एंजाइम रस पाया जाता है जिसके लिए चीन में इसे पाला जाता है और छोटे – छोटे पिंजरों में रखा जाता है। इस रस की पारम्परिक चीन दवाइओ में बहुत मांग रहती है। इस रस को निकालने के लिए भालू के पेट में एक स्थायी चीरा लगाया जाता है, फिर एक कैथेटर ट्यूब डालकर वो रस निकाला जाता है। यह प्रकिया बहुत ही दर्दनाक होती है और आमतोर पर दिन में दो बार की जाती है।

नाइजीरिया में महिला ने बच्चे को नहीं बल्कि इस जानवर को दिया जन्म!

कुछ सच ऐसे होते हैं जिस पर यकीन करना ईश्वर पर यकीन करने जैसा होता है।अगर कोई कहे कि भगवान को मैंने देखा है तो शायद ही आप यकीन करेंगे। लेकिन जब कोई कहे कि किसी महिला ने एक घोड़े को जन्म दिया है तो आप शायद उसे पागल करार दे। लेकिन ये सच है।
नाइजीरिया में एक महिला ने चार पैरों वाले एक बच्चे को जन्म दिया। यह बच्चा देखने में बिल्कुल घोड़े की आकृति जैसा है। यह बात जो भी सुनता है वह सोच में पड़ जाता है कि ये कैसे हो सकता है। खबरों की मानें तो यह महिला प्राकृतिक तौर पर सामान्य महिलाओं की तरह प्रेगेंट थी।
अचानक से स्पाले-बेनिन रोड पर एक चर्च के बाहर उसे दर्द होने लगा। दर्द से तड़पती महिला की वहीं पर डिलीवरी कराई गई। डिलीवरी के दौरान वहां पर मौजूद लोग तब हैरत में पड़ गए जब उन्होंने चार पैरों वाले उस बच्चे को देखा। पहले परिवार को भी यह सुनकर यकीन नहीं हो रहा था, लेकिन बाद में वह बच्चे को देखकर वह हैरान रह गए। बच्चे का मुंह बगैरह भी घोड़े के जैसा ही है।
जैसे-जैसे इस बच्चे के बारे में लोगों को पता चलता जा रहा है वहां पर वैसे-वैसे ही लोगों की भीड़ उस बच्चे को देखने के लिए उमड़ती जा रही है।
इस बच्चे की तस्वीरें काफी तेजी से मीडिया में वायरल हो रही हैं। लोग इसे भगवान का चमात्कार मान रहे हैं।


रणसी गांव की इस भूतिया बावड़ी का किस्सा जान आप रह जाएंगे हैरान

मारवाड़ में हमेशा से ही पानी एक विकराल समस्या रही है। इससे बचने के लिए यहां के शासकों और रहवासियों ने पानी के भंडारण के लिए कई कुंए, बावडि़यां, हौद और टांके बनवाए थे। ज्यादातर बावडि़यां राजा-महाराजा, रानियों या पासवानों ने बनवाई थीं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जोधपुर के रणसी गांव में एक बावड़ी एेसी भी है, जिसे खुद भूत ने बनाया है!

जी हां, ये बिल्कुल सच है। जोधपुर से करीब 105 किलोमीटर दूर बोरूंदा थाना क्षेत्र में एक एेतिहासिक गांव है रणसी गांव... यहीं मौजूद है ये भूत बावड़ी। ये बावड़ी कलात्मकता का एक बेजोड़ नमूना है। करीब 200 फीट गहरी बावड़ी में नीचे जाने के लिए चारों ओर सीढि़यां बनी हैं और नक्काशी किए हुए कई खम्भे भी बने हैं, जो इसकी सुंदरता को निखारते हैं। बावड़ी के निर्माण में लॉक तकनीक पत्थरों को जोड़ा गया है, जो झूलते हुए दिखाई देते हैं। फोटो: सोहन लाल वैष्णव

ऋषि के शाप के बाद राजपूतों ने बसाया था रणसी गांव

इतिहास में इस बात का प्रमाण मिलता है कि जोधपुर से चाम्पावत राजपूतों की एक शाखा विभाजित हो गई थी, जो कापरड़ा गांव में आकर बस गए। कुंवारे राजपूतों ने इस गांव के एक संत की तपस्या को बाधित किया। उनके कुपित होने पर राजपूत युवाओं ने संत की बगीची भी उजाड़ दी। इससे संत ने क्रोधित हो कर पूरे चाम्पावत राजपूतों को शाप दिया। चाम्पावतों को शाप मिला कि कापरड़ा गांव में उनके वंशज जीवित नहीं रहेंगे। इस शाप के भय से चाम्पावत राजपूतों ने कापरड़ा गांव छोड़ दिया और एक दूसरी जगह जाकर बस गए। इस गांव को उन्होंने रणसी नाम दिया। इस तरह रणसी गांव अस्तित्व में आया। हालांकि ये रणसी गांव अब भूत द्वारा बनाई गई बावड़ी और महल के लिए ज्यादा प्रसिद्ध है। लोग दूर-दूर से इस गांव में बनी भूत बावड़ी और महल देखने आते हैं।

चाम्पावत ठाकुर ने भूत को वश में कर बनवाई बावड़ी

जोधपुर दरबार के मालदेव सिंह के यहां रणसी गांव के ठाकुर जयसिंह चाम्पावत ठकुराई का काम देखते थे। एक दिन ठाकुर गणगौर मेले में जोधपुर के राजा के किसी काम के लिए जा रहे थे। रास्ते में चिडाणी गांव स्थित लत्याळी नाडी में वे अपने घोड़े को पानी पिलाने के लिए रुके। उस समय रात काफी हो चुकी थी। ठाकुर का घोड़ा जब पानी पी रहा था, तभी ठाकुर को वहां एक झाड़ी के पीछे कुछ हलचल महसूस हुई। गौर से देखने पर ठाकुर को वह कोई भूतहा आकृति मालूम हुई। ठाकुर के बड़ी निर्भीकता से बोलने पर भूत उनके सामने प्रकट हुआ और बोला कि मैं एक शाप से बंधा हूं और इस नाडी का पानी नहीं पी सकता, आप मुझे पानी पिला दीजिए। पानी पीने के बाद उस भूत ने ठाकुर जयसिंह से कुछ खाने की सामग्री भी मांगी, जिसे लेने के बाद भूत ने ठाकुर से कुश्ती लडऩे की इच्छा जाहिर की।

कुश्ती में हारने के बाद भूत ने बनाई बावड़ी और महल

ठाकुर ने उसकी इच्छा सहर्ष स्वीकार कर ली। दोनों में कुश्ती हुई और ठाकुर जीत गया। जयसिंह ने भूत को अपने वश में कर लिया। भूत त्राहि-त्राहि करने लगा और उसने कहा कि आप मुझे जानें दें, बदले में जो आप कहेंगे, मैं करूंगा। ठाकुर ने अपने रणसी गांव में भूत को लोगों के लिए बावड़ी और अपने लिए सात खंडों (मंजिलों) का महल बनाने के निर्देश दिए। भूत ने इस काम के लिए हामी भर दी, लेकिन उसने एक शर्त रखी कि ये बात किसी को पता ना चले। साथ ही उसने ये भी कहा कि वो ये काम परोक्ष रूप से करेगा, जिसमें ठाकुर जो भी निर्माण कराएंगे, रात में भूत उसे 100 गुना अधिक बढ़ा देगा। ये राज यदि खुलेगा, तो ठाकुर का काम भी रुक जाएगा और उसके बाद भूत उसे पूरा नहीं कर पाएगा। ये बात विक्रम संवत् 1600 की है, जब रणसी गांव में अनोखा निर्माण कार्य शुरू हुआ। निर्माण करने वाले मजदूर भी हैरान थे कि दिन में वो जो भी निर्माण कार्य करते, अगले दिन वो कई गुना ज्यादा हो जाता था। गांव के लोग भी इस चमत्कार को देखने आने लगे।

ठकुराइन की जिद ने बंद करवाया निर्माण कार्य

बावड़ी और महल बनाने का कार्य प्रगति पर था। एक दिन ठाकुर जयसिंह की पत्नी ने इस अनोखे कार्य के विस्तार के बारे में पूछा। वचनबद्ध ठाकुर ने बताने से मना कर दिया। इससे नाराज ठकुराइन ने पति से बोलचाल बंद कर दी और खाना-पीना त्याग दिया। ठाकुर ने निर्माण बंद होने के डर से ठकुराइन को कुछ नहीं बताया, लेकिन दिन-प्रतिदिन ठकुराइन की तबीयत बिगड़ती गई और वो मृत्यु शैय्या पर पहुंच गई। इसे देखकर ठाकुर को अपनी जिद छोडऩी पड़ी और उसने ठकुराइन को सब कुछ बता दिया। जैसे ही ये राज खुला महल और बावड़ी का कार्य बंद हो गया। जो महल सात खंडों का बनना था, वो मात्र दो खंडों का बन कर रह गया। बावड़ी करीब-करीब पूरी बन चुकी थी, लेकिन उसकी एक दीवार अधूरी रह गई। राज खुलने के बाद ये दीवार भी नहीं बन पाई। रणसी गांव में भूत की बनाई बावड़ी और महल आज भी उसी अधूरी हालत में मौजूद हैं।

Tuesday, 2 February 2016

पुणे में 14 स्टूडेंट्स डूबेः आई विटनेस बोले- बीच पर सेल्फी ले रहे थे कुछ बच्चे

अरब सागर के मुरुड जजीरा बीच पर पिकनिक मनाते वक्त डूबने वाले स्डूटेंस का आंकड़ा 14 हो गया है। मंगलवार को समुद्र से एक लाश और निकाली गई। इस बीच, एक आई विटनेस ने कहा, ''किसी को भी लहर का अंदाजा नहीं था। जब हादसा हुआ तो कोई स्विमिंग कर रहा था, कोई सेल्फी ले रहा था।'' सोमवार को आबिदा इनामदार कॉलेज के 116 स्टूडेंट बीच पर पहुंचे थे।
कैसे हो गया हादसा, मिनटों में बहा ले गई लहर...

- स्टूडेंट्स के ग्रुप में 70 लड़के और बाकी लड़कियां थीं।
- जब 20 स्टूडेंट्स डूब रहे थे तो उस वक्त कुछ ने उन्हें बचाने की कोशिश की।
- बीएससी फर्स्ट, सेकंड और थर्ड ईयर के 116 स्टूडेंट्स और 11 फैकल्टी मेंबर्स मुरुद में पिकनिक मनाने आए थे।
- कुछ स्टूडेंट्स ने फैकल्टी के साथ तोसलकार वाडी गए। कुछ स्टूडेंट्स ने बीच पर ही रहने का फैसला किया।
- टीचर्स ने समुद्र में न जाने की ताकीद भी दी थी।
- सभी के जाते ही स्टूडेंट्स समुद्र में चले गए। स्टूडेंट्स ने हाई टाइड (ज्वार) के टाइम की जानकारी भी नहीं ली।
- जब तक वे संभल पाते, लहरें उन्हें खींच ले गईं।
- मुरुद थाने के इंस्पेक्टर अविनाश माने के मुताबिक, मामले में एडीआर (एक्सीडेंटल डेथ रिपोर्ट) दर्ज कर ली गई है।
- घटना के कुछ ही देर बाद मौके पर पहुंचे कोस्ट गार्ड टीम ने चार स्टूडेंट को सही-सलामत बाहर निकाल लिया
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट का दावा- सबसे ज्यादा इंडिया में गई #Selfie लेते लोगों की जान...
- दुनियाभर में सेल्फी के क्रेजी 27 लोगों की जान गई, जिनमें 15 से ज्यादा मौतें भारत में हुईं। ये सभी लोग लापरवाही से खतरनाक जगहों पर सेल्फी लेने की कोशिश कर रहे थे।
- रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में सेल्फी डेथ के सबसे ज्यादा मामले भारत में सामने आए हैं।
- इससे पहले 9 जनवरी को बांद्रा स्टैंड पर सेल्फी लेते हुए दो लोगों की मौत हुई। इसके बाद पुलिस ने मुंबई के 16 पिकनिक स्‍पॉट्स को 'नो सेल्‍फी जोन' बना दिया है।
- पिछले साल नासिक कुंभ मेले के दौरान कुछ जगहों पर भी 'नो सेल्फी जोन' बनाए गए थे। 
आई विटनेस ने क्या कहा?
- संतोष राजनकर के मुताबिक, "करीब 100 स्टूडेंट्स का ग्रुप था। उनके साथ टीचर्स भी थे। तीन बजे के करीब कुछ स्टूडेंट्स समुद्र में चले गए। ये हाई टाइड का वक्त था। लोकल लोगों और टीचर्स ने भी उन्हें ऐसा न करने की हिदायत दी थी। लेकिन वे नहीं माने। करीब 4 बजे हमने मदद के लिए चीख सुनी और बच्चों को डूबते देखा। उनके कुछ दोस्त बचाने के लिए समुद्र में कूदे। मछुआरों ने भी मदद की और 6 को बचा लाए।"
कैसे चला रेस्क्यू ऑपरेशन?
- नेवल कमांडर राहुल सिन्हा के मुताबिक, हमें चार बजे शाम को करीब 15-18 स्टूडेंट्स के समुद्र में डूबने की इन्फॉर्मेशन मिली।
- कोस्ट गार्ड के एयरक्राफ्ट IC-117 और दो बोट को सर्चिंग के लिए भेजा गया। इसके बाद करीब 6 बजे चॉपर ex-842SGN और ICGS अचूक को भेजा गया।
हादसे में बचे लोगों ने क्या कहा?
- एक लड़की ने कहा, "खुदा रहम करे और हमारे दोस्तों को बचा ले। यह खराब पिकनिक थी। इस घटना ने मुझे जिंदगी भर के लिए डरा दिया। मैं खुशकिस्मत थी जो बच गई।"
- एक अन्य के मुताबिक, "करीब साढ़े तीन बजे थे। मेरे कई दोस्त समुद्र में जाकर फोटो-सेल्फी खींच रहे थे। तभी ऊंची-ऊंची लहरें उठनी शुरू हो गईं। तब भी कई दोस्त पानी में खेलते रहे। कुछ पता चलता, इसके पहले ही एक लहर आई और उन्हें गहरे समुद्र में ले गई। कई लोग कूदे और कुछ को बचा लाए।"
इंडिया में कब और कैसे गई लोगों की जान?

- मुंबई में चलती ट्रेन के सामने स्टंट और सेल्फी के चक्कर में तीन कॉलेज स्टूडेंट्स की मौत हुई।
- ताजमहल की सीढ़ियों पर सेल्फी लेते वक्त एक जापानी टूरिस्ट ने अपनी जान गंवाई थी।
- मुंबई में समुद्र के किनारे सेल्फी ले रहे दो लड़के पानी में गिर गए, जिनकी डूबने से मौत हो गई।
- नागपुर में नाव पलटने से सात लड़कों की जान चली गई थी। ये सभी तालाब में सेल्फी ले रहे थे।
- तमिलनाडु में पहाड़ी पर सेल्फी लेते वक्त गिरने से इंजीनियरिंग स्टूडेंट की मौत हो गई थी।
- जुलाई, 2015 में जयपुर के नेवटा डैम में सेल्फी लेने उतरे तीन लड़कों की डूबने से मौत हो गई।
- गुजरात में नहर के किनारे सेल्फी लेना दो स्टूडेंट्स को भारी पड़ गया। उनकी जान चली गई।
- दिसंबर, 2015 में कोयंबटूर में अमरावती नदी के किनारे सेल्फी ले रहे एक ही फैमिली के चार लोग डूब गए थे।
- जनवरी, 2016 में राजस्थान में किले की दीवार से गिरकर सेल्फी ले रहे स्टूडेंट की मौत हो गई।

8 हजार में बना दी 1 ली में 200 Km. चलने वाली साइकिल

ताज नगरी में स्टूडेंट्स ने ऐसी साइकिल बनाई है, जो पेट्रोल से चलती है। जी हां, एक लीटर पेट्रोल में साइकिल 200 किमी का सफर तय कर सकती है। यही नहीं, मोटरसाइकिल की तरह ये 35 किमी/घंटे की रफ्तार से दौड़ भी सकती है। आगे पढ़‍िए, क्या है साइकिल की खासयित...
- खेतों में कीटनाशक छिड़कने वाली मशीन का लगा है इंजन।
- पेट्रोल टंकी के लिए किया साइकिल के पाइप का इस्तेमाल।
- टंकी की क्षमता एक लीटर तक है, जो देखने में हुबहू मोटरसाइकिल की पेट्रोल टंकी जैसी लगती है।
- साइकिल के हैंडल को ही एक्सीलेटर का रूप दिया है।
कैसे आया साइकिल बाइक का आइडिया
- आॅटो मोबाइल इंजीनियरिंग कर रहे पांच स्टूडेंट मुकुल गौड़, विक्रांत रावत, रंजुल मिश्रा, सुधांशु गोस्वामी और तुषार गोयल ने इस आइडिया पर काम किया।
- स्‍टूडेंट्स ने बताया, यू ट्यूब पर अमेरिका में बनी पेट्रोल साइकिल बाइक देखी।
- यहीं से खुद ऐसी ही साइकिल बाइक बनाने की ठानी।
- रेट को ध्यान में रखकर कीटनाशक स्प्रे मशीन का इंजन खरीदा, जिसे पेट्रोल से चलने लायक बनाया।
- पेट्रोल रखने के लिए अलग से टंकी न बनाकर साइकिल के फ्रेम को काटकर टंकीनुमा पाइप बनाया।
- साइकिल बाइक को बनाने में कुल 8 हजार रुपए का खर्च आया।

प्रोपेगैंडा वॉर: साउथ कोरिया ने बजाए स्पीकर, किम जोंग ने गिराए यूज्ड टॉयलेट पेपर

सिओल. नॉर्थ कोरिया और साउथ कोरिया के बीच प्रोपेगैंडा वॉर फिर तेज हो गया है। मंगलवार को मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, किम जोंग उन की टीम बैलून छोड़ रही है। इनमें यूज्ड टॉयलेट पेपर्स, टिश्यू और जली हुई सिगरेट के टुकड़े भरे हैं। हाइड्रोजन बम के टेस्ट के बाद से नॉर्थ कोरिया चर्चा में है।
बॉर्डर पर प्रोपेगैंडा करने वाले साउथ कोरिया को क्या है डर...
- साउथ कोरिया को डर है कि नॉर्थ इनके जरिए बायो-केमिकल अटैक कर सकता है।
- हाइड्रोजन बम के टेस्ट का दावा करने के बाद साउथ बॉर्डर पर स्पीकर्स के जरिए प्रोपेगैंडा सॉन्ग्स बजाया जा रहा था।
- इसके जवाब में प्योंगयांग की तरफ से बैलून छोड़े जा रहे हैं। इन बैलूनों में छोटा एक्सप्लोसिव डिवाइस लगा है।
- डेटोनेट होने पर इनमें से यूज्ड टॉयलेट पेपर्स, सिगरेट के बट्स और लीफलेट्स गिर रहे हैं।
बैलून से क्या दिया जा रहा है मैसेज?
- नॉर्थ कोरिया ने अब तक करीब 10 लाख लीफलेट गिराए हैं। इन पर लिखा है- "एंटी नॉर्थ साइकोलॉजिकल वॉरफेयर ब्रॉडकास्ट बंद करो।"
- कई लीफलेट्स में साउथ कोरिया प्रेसिडेंट पार्क गुएन हुए को कोरियाई प्रायद्वीप पर तनाव का जिम्मेदार बताया गया है।
- इनमें से कई बैलून बिना एक्सप्लोड हुए साउथ कोरिया की जमीन पर गिर रहे हैं। साउथ कोरिया को डर है कि बायो-केमिकल्स के जरिए नॉर्थ कोरिया उनके लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है।
- हालांकि, स्पीकर्स बजाए जाने के अलावा साउथ कोरिया की ओर से भी बैलून छोड़े जाते रहे हैं, जिनमें मैसेज लिखे होते हैं।
नॉर्थ कोरिया ने दुनिया को कैसे चौंकाया था?
- तानाशाह उन ने 6 जनवरी को अंडरग्राउंड हाइड्रोजन टेस्ट करने का दावा कर दुनियाभर को चौंका दिया था।
- हाइड्रोजन बम टेस्ट की वजह से उस दिन सुबह भूकंप के झटके भी महसूस किए गए। इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.1 थी।

4 मिनट की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 5 जजों की बेंच को भेजा केस

नई दिल्ली: गे रिलेशन क्राइम है या नहीं, इस पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। कोर्ट ने मंगलवार को चार मिनट की सुनवाई के बाद मामले को 5 जजों की बेंच को भेज दिया है।इस मामले में 8 क्यूरेटिव पिटीशन फाइल की गई हैं। बता दें कि आईपीसी की धारा 377 के तहत मौजूदा कानून में गे रिलेशन क्राइम है।
किसने दायर की हैं पिटीशंस...
- आईपीसी के सेक्शन 377 में होमोसेक्सुअलिटी को अपराध माना गया है।
- गे रिलेशन की वकालत करने वाले इसे फंडामेंटल राइट्स का वायलेशन मानते हैं और इसके लिए वे कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
- पिटीशंस गे राइट्स एक्टिविस्ट्स और एनजीओ नाज फाउंडेशन की तरफ से दायर की है। ये लोग लेस्बियन, गे, बाइसैक्सुअल, ट्रांसजेंडर (एलजीबीटी) के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।
किसने की सुनवाई

- इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के तीन जज चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर, जस्टिस एआर दवे और जस्टिस जगदीश सिंह केहर की बेंच ने की।
- हालांकि, क्यूरेटिव पिटीशन की सुनवाई चैंबर में होती है, लेकिन आज खुली अदालत में हुई।
क्या होती है क्यूरेटिव पिटीशन
- सुप्रीम कोर्ट के जज भी गलती कर सकते हैं। ऐसे में यदि कोर्ट के अंतिम फैसले में कोई गलती रह गई तो क्या उसका नतीजा बेकसूर भुगतेंगे?
- जब यह सवाल 2002 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच के सामने आया तो उसने क्यूरेटिव पिटीशन यानी सुधार याचिका की व्यवस्था दी।
- रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा मामले में पहली बार इसका इस्तेमाल किया गया।
- सरल शब्दों में संविधान के सेक्शन 137 के तहत दाखिल रिव्यू पिटीशन के खारिज होने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट से फैसले को रिव्यू करने की गुजारिश की जा सकती है।
- यह व्यवस्था तत्कालीन चीफ जस्टिस एसपी भरूचा, जस्टिस सैयद मोहम्मद कादरी, जस्टिस यूसी बनर्जी, जस्टिस एसएन वरियावा और जस्टिस शिवराज वी. पाटिल की संविधान बेंच ने दी थी।
क्यूरेटिव पिटीशन का प्रॉसेस
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 30 दिन के भीतर रिव्यू पिटीशन दाखिल की जा सकती है। लेकिन क्यूरेटिव पिटीशन के लिए समय सीमा नहीं है।
- क्यूरेटिव पिटीशन कोई सीनियर एडवोकेट ही दाखिल कर सकता है। याचिका सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के तीन सबसे सीनियर जजों की बेंच के पास जाती है।
- अगर बेंच को लगता है कि याचिका में उठाए गए मुद्दे वाजिब हैं तो वह सुनवाई के लिए उसे मंजूर कर सकते हैं।
- यह याचिका उन जजों को भी देनी होती है, जिन्होंने रिव्यू पिटीशन पर फैसला सुनाया था।

भारत में लॉन्च हुए दो बेहद किफायती लैपटाप, कीमत 5,999 रुपए

डेटाविंड ड्रॉयडसर्फर 10: यह दस इंच (1024x600 पिक्सल) टचस्क्रीन, 1.2 गीगाहर्ट्ज डुअल-कोर कॉर्टेक्स-ए9 प्रोसेसर, 1 जीबी रैम और 8 जीबी इंटरनल स्टोरेज के साथ है। माइक्रोएसडी कार्ड सपोर्ट मौजूद है। इसमें 0.3 मेगापिक्सल फ्रंट कैमरा दिया गया है।  यह 6000एमएएच बैटरी के साथ है। कनेक्टिविटी के लिए वाई-फाई, एचडीएमआई पोर्ट और माइक्रो-यूएसबी सपोर्ट है।

सिडनी में जीत के साथ भारत का क्लीन स्वीप

सिडनी में खेला गया तीसरा टी-20 मैच बेहद रोमांचक रहा और अंतिम गेंद पर सुरेश रैना के बल्ले से निकले चौके ने टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया में पहली क्लीन स्विप दिला दी। 7 विकेट से मिली जीत के साथ ही टीम इंडिया ने यह सीरीज 3-0 से अपने नाम कर ली।
कार्यवाहक कप्तान शेन वाटसन (नाबाद 124) की तूफानी शतकीय पारी के दम पर ऑस्ट्रेलिया ने तेजी से रन बनाते हुए भारत के सामने 198 रनों का बड़ा लक्ष्य दिया जिसे टीम इंडिया ने अंतिम गेंद पर हासिल कर लिया। भारत की ओर से इस मैच में भी 2 अर्धशतक लगे। रोहित शर्मा ने 52 और विराट कोहली ने 50 रनों की पारियां खेली जबकि विजयी चौका लगाने वाले रैना (नाबाद 49) अपने अर्धशतक से सिर्फ एक रन से रह गए।

इससे पहले बल्लेबाजी करते हुए कंगारू टीम ने 20 ओवर में 5 विकेट पर 197 रन बनाए। कप्तान वाटसन ने अपनी आतिशी पारी में 71 गेंदों में 124 रनों (10 चौके और 6 छक्के) की नाबाद पारी खेली। ऑस्ट्रेलिया ने 17 ओवर में 168 रन बना लिए थे, लेकिन अंतिम 3 ओवर में गेंदबाजों ने वापसी करते हुए सिर्फ 29 रन दिए और 200 से पहले ही रोक दिया। 5 गेंदबाजों को एक-एक सफलता मिली।

भारतीय टीम ने वनडे सीरीज 1-4 से गंवाई थी लेकिन टी-20 सीरीज में उसने एडिलेड और मेलबर्न के बाद सिडनी में जीत के साथ 3-0 करते हुए क्लीन स्वीप कर लिया।

इस जीत के साथ ही टीम इंडिया टी-20 रैंकिंग में पहले नंबर पर आ गई है। 120 रेटिंग के साथ भारत पहले जबकि 118 रेटिंग के साथ वेस्टइंडीज दूसरे नंबर पर हैं। वहीं, ऑस्ट्रेलिया टीम को लगातार तीन हार रास नहीं आई। कंगारू टीम आठवें नंबर पर है। उससे नीचे 9वें नंबर पर अफगानिस्तान है।

तो अब 'मिनी' चेन्नई सुपर किंग्स बन गई है टीम इंडिया

ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान टीम इंडिया में 5 नए उभरते क्रिकेटरों को अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत करने का चांस मिला, जिसमें तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह और हार्दिक पांड्या के अलावा बरिंदर सरां अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे।

अब कंगारुओं की धरती पर जीत की पताका लहराने के बाद टीम इंडिया अब अपने देश लौट आई है और अगले हफ्ते उसे एक और सीरीज खेलनी है। यह सीरीज उसके घर में होगी और श्रीलंका उसके सामने। इस टी-20 सीरीज के लिए बीसीसीआई ने अपनी टीम का ऐलान करते हुए फिर एक नए चेहरे को जगह दी है। टीम का नया चेहरा है फिरकी गेंदबाज पवन नेगी। 23 साल के पवन पहली बार भारतीय टीम के लिए शामिल किए गए हैं।

टीम के चयन होने के बाद सोमवार की शाम बीसीसीआई से जब नेगी को फोन आया तो वह आश्चर्यचकित रह गए। नेगी घर पर थे उन्होंने सबसे पहले मां को इस बारे में बताया। फिर पापा को फोन किया। मूल रूप से अल्मोड़ा से जुड़े नेगी चाहते भी यही हैं कि वह टीम में अपनी जगह बतौर खब्बू स्पिनर नहीं बल्कि एक हरफनमौला के तौर पर बनाएं। उन्हें अगर अंतिम एकादश में मौका मिला तो वह खुद को साबित करने में कसर नहीं छोड़ेंगे। साथ ही नेगी कप्तान धोनी के पसंदीदा उभरते क्रिकेटरों में से एक हैं।

नेगी के शामिल होने के बाद टीम इंडिया अब 'मिनी' चेन्नई सुपर किंग्स बन गई है। आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के कारण 2 साल का प्रतिबंध झेलने वाली सीएसके के वह छठे खिलाड़ी हो गए हैं।

10 दिन में होगा पीएफ का ऑनलाइन क्लेम ट्रांसफर, फॉलो करें ये 4 स्टेप्स.

नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने एम्प्लाइज प्रॉविडेंट फंड (पीएफ) ट्रांसफर प्रोसेस को आसान कर दिया है। ईपीएफओ ने पीएफ क्लेम का सारा प्रोसेस ऑनलाइन कर दिया है।...
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