Monday 27 June 2016

ये वो संकेत हैं जो बताते हैं कि अब मौत करीब है!

जीवन और मौत को लेकर लोग हमेशा चिंतित रहते हैं। भले ही विज्ञान ने कितनी ही तरक्की कर ली हो लेकिन मौत को वश में कर पाना उसके लिए भी मुमकिन नहीं है। लेकिन भगवान शंकर से संबंधित शिवपुराण में ऐसी कई बातें बताई गई हैं जो मौत के आने के संकेतों की ओर इशारा करती हैं।
इसमें भगवान शिव ने माता पार्वती को मृत्यु के संबंध में कुछ विशेष संकेत बताए हैं। जिनके द्वारा जाना जा सकता है कि कितने समय में किसी व्यक्ति की मौत हो सकती है।
शिवपुराण के अनुसार जिस मनुष्य को ग्रहों के दर्शन होने पर भी दिशाओं का ज्ञान न हो, मन में बैचेनी छाई रहे, तो उस मनुष्य की मृत्यु 6 महीने में हो जाती है।

जिस व्यक्ति को अचानक नीली मक्खियां आकर घेर लें। उसकी आयु एक महीना ही शेष जाननी चाहिए।

शिवपुराण में भगवान शिव ने बताया है कि जिस मनुष्य के सिर पर गिद्ध, कौवा अथवा कबूतर आकर बैठ जाए, वह एक महीने के भीतर ही मर जाता है। ऐसा शिवपुराण में बताया गया है।

यदि अचानक किसी व्यक्ति का शरीर सफेद या पीला पड़ जाए और लाल निशान दिखाई दें तो समझना चाहिए कि उस मनुष्य की मृत्यु 6 महीने के भीतर हो जाएगी। जिस मनुष्य का मुंह, कान, आंख और जीभ ठीक से काम न करें, शिवपुराण के अनुसार उसकी मृत्यु 6 महीने के भीतर हो जाती है।

जिस मनुष्य को चंद्रमा व सूर्य के आस-पास का चमकीला घेरा काला या लाल दिखाई दे, तो उस मनुष्य की मृत्यु 15 दिन के अंदर हो जाती है। अरूंधती तारा व चंद्रमा जिसे न दिखाई दे अथवा जिसे अन्य तारे भी ठीक से न दिखाई दें, ऐसे मनुष्य की मृत्यु एक महीने के भीतर हो जाती है।
त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) में जिसकी नाक बहने लगे, उसका जीवन पंद्रह दिन से अधिक नहीं चलता। यदि किसी व्यक्ति के मुंह और कंठ बार-बार सूखने लगे तो यह जानना चाहिए कि 6 महीने बीत-बीतते उसकी आयु समाप्त हो जाएगी।

जब किसी व्यक्ति को जल, तेल, घी तथा दर्पण में अपनी परछाई न दिखाई दे, तो समझना चाहिए कि उसकी आयु 6 माह से अधिक नहीं है। जब कोई अपनी छाया को सिर से रहित देखे अथवा अपने को छाया से रहित पाए तो ऐसा मनुष्य एक महीने भी जीवित नहीं रहता।
जब किसी मनुष्य का बायां हाथ लगातार एक सप्ताह तक फड़कता ही रहे, तब उसका जीवन एक मास ही शेष है, ऐसा जानना चाहिए। जब सारे अंगों में अंगड़ाई आने लगे और तालू सूख जाए, तब वह मनुष्य एक मास तक ही जीवित रहता है।
जिस मनुष्य को ध्रुव तारा अथवा सूर्यमंडल का भी ठीक से दर्शन न हो। रात में इंद्रधनुष और दोपहर में उल्कापात होता दिखाई दे तथा गिद्ध और कौवे घेरे रहें तो उसकी आयु 6 महीने से अधिक नहीं होती। ऐसा शिवपुराण में बताया गया है।
जो मनुष्य अचानक सूर्य और चंद्रमा को राहू से ग्रस्त देखता है (चंद्रमा और सूर्य काले दिखाई देने लगते हैं) और संपूर्ण दिशाएं जिसे घुमती दिखाई देती हैं, उसकी मृत्यु 6 महीने के अंदर हो जाती है।
शिवपुराण के अनुसार जो व्यक्ति हिरण के पीछे होने वाली शिकारियों की भयानक आवाज को भी जल्दी नहीं सुनता, उसकी मृत्यु 6 महीने के भीतर हो जाती है। जिसे आकाश में सप्तर्षि तारे न दिखाई दें, उस मनुष्य की आयु भी 6 महीने ही शेष समझनी चाहिए।
शिवपुराण के अनुसार जिस व्यक्ति को अग्नि का प्रकाश ठीक से दिखाई न दे और चारों ओर काला अंधकार दिखाई दे तो उसका जीवन भी 6 महीने के भीतर समाप्त हो जाता है।

एक ऐसा शहर जिसकी आधी आबादी करती है भूत-प्रेत से बातें

एक ऐसा शहर जिसकी आधी आबादी करती है भूत-प्रेतों से बातें – संसार का सबसे बड़ा रहस्य है मृत्यु जहां जाकर सब कुछ समाप्त हो जाता है। मृत्यु के बाद क्या है और क्या नहीं है यह एक ऐसा रहस्य है ज‌िसे ज‌ितना समझने की कोश‌िश करेंगे आप उतना ही उलझते जाएंगे क्योंक‌ि हर धर्म में मृत्यु के बाद की स्थ‌ित‌ि का अलग-अलग वर्णन क‌िया गया है।
मृत्यु के बाद की स्थ‌ित‌ि के बारे में कई वैज्ञान‌िक शोध भी क‌िए जा रहे हैं और पारामनोवैज्ञान‌िक अलग-अलग तरह के दावे करते रहे हैं। पारामनोवैज्ञान‌िकों के अनुसार मृत्यु के बाद भी कुछ अस्त‌ित्व बचा रहता है। अगर प्रयास क‌िया जाए तो मृत व्यक्त‌ि से संपर्क क‌िया जा सकता है।
मृत्यु को प्राप्त हुए व्यक्त‌ि से संपर्क करने के कई तरीके हैं ज‌िनसे परलोक गए व्यक्त‌ि को वापस अपने बीच बुला सकते हैं। मृत्यु के बाद भौत‌िक शरीर समाप्त हो जाता है, व्यक्त‌ि एक उर्जा एक आत्मा के रुप में मौजूद होता है। इसल‌िए उनसे संपर्क करने के ल‌िए एक माध्यम की जरुरत होती है।
अमेर‌िका का एक शहर ऐसा ही है जहां की आधी आबादी इस बात का दावा करती है क‌ि उनमें ऐसी शक्त‌ि मौजूद है क‌ि वह माध्यम बनकर या अन्य तरीकों से परलोक गए व्यक्त‌ि की आत्मा से संपर्क कर सकते हैं।
यहां के लोग प्रेतात्माओं से पीड़‌ित व्यक्त‌ियों का उपचार करने का भी दावा करते हैं इसल‌िए दूर-दूर से लोग यहां पारलौक‌िक शक्त‌ियों का अनुभव करने आते रहते हैं। अपनी इन्हीं खूब‌ियों के कारण इस शहर को ‘साइकिक कैपिटल’ भी कहा जाता है।
साइकिक कैपिटल की कुछ खास बातें
दुन‌िया भर में ‘साइकिक कैपिटल’ के नाम से ज‌िस शहर को जाना जाता है उस शहर का नाम है कासाडागा टाउन। माना जाता है क‌ि यहां रहने वाले ज्यादातर लोग मनोविज्ञान के जानकार हैं और मृत आत्माओं से साक्षात्कार करने का दावा करते हैं। 1875 में इस टाउन को न्यूयॉर्क के आध्यात्मिक गुरु जॉर्ज कॉल्बी ने बसाया था। धीरे-धीरे यहां लोग बसने लगे, जो खुद स्प्रिचुअल हीलर्स बन गए।
आज कासाडागा में 100 से अधिक स्प्रिचुअल हीलर्स हैं, जो मृत आत्माओं से संपर्क होने का दावा करते हैं। हर साल यहां सैकड़ों लोग दूर-दूर से बुरी आत्माओं से मुक्ति पाने के लिए आते हैं। यहां इसाईयत, दर्शन और विज्ञान के मिले-जुले आधार पर केंद्रित आध्यात्म का एक अनूठा रूप देखने को मिलता है।
यहां के स्प्रिचुअल हीलर्स टैरो कार्ड्स या हस्तरेखाओं को पढ़कर इन आत्माओं से संपर्क करने का दावा करते हैं। हर साल यहां करीब 15 हजार लोग आते हैं। यही कासाडागा की अर्थव्यवस्था का आधार भी है।
भूतों से बातें करने का दावा, क्या कहते हैं मनोवैज्ञान‌िक
इंडियन हिप्नोसिस एकेडमी के प्रमुख डा. जे पी मलिक बताते हैं कि किसी व्यक्ति को हिप्नोटाइज करके पूर्वजन्म में हुई घटनाओं को देखा जा सकता है। इतना ही नहीं अगर व्यक्ति चाहे तो वह हिप्नोसिस के माध्यम से किसी मृत आत्मा से संपर्क कर सकते हैं। यानी मध्यम के द्वारा आत्माओं से संपर्क क‌िया जा सकता है।
चेतन मन में आत्माओं से संपर्क करना मुश्किल होता है। लेकिन अचेतन मन को आत्माओं से जोड़ा जा सकता है। आत्माओं से संपर्क होने के बाद व्यक्ति उनसे अपने प्रश्न पूछ सकता है। इनका कहना है कि यह काम व्यक्ति खुद भी कर सकता है लेकिन किसी एक्सपर्ट की सलाह से करे तो बेहतर रहता है क्योंकि कई बार व्यक्ति बहुत डर जाता है। ऐसे समय में व्यक्ति को संभालने के लिए एक एक्सपर्ट की जरूरत होती है।
इन्होंने यह भी बताया कि आत्माएं जो बुलाने पर आ जाती हैं वह अपनी मर्जी से खुद ही चली जाती हैं इसलिए हिप्नोटिज्म के द्वारा आत्मओं से संपर्क करने पर यह डर नहीं रहता कि आत्मा आ गई तो लौट कर जाएगी या नहीं। ऐसे में यह अव‌िश्वनीय नहीं कहा जा सकता है क‌ि लोग आत्माओं से संपर्क कर सकते हैं।

इंसान ही नहीं जानवर भी करते हैं सुसाइड, ये घटनाएं हैं प्रमाण

आपने अभी तक इंसानों को ख़ुदकुशी करते देखा या सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जानवर भी सुसाइड कर सकते है? हैरान हो गए न! लेकिन ये सच है। आज मैं आपको इस दुनिया में हुई कुछ ऐसी घटनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जो जानवरों के सुसाइड की तरफ इशारा करती है। इन घटनाओ पर एक नजर।

जब डॉलफिन ने अपनी ट्रेनर की बाहों में तोड़ा दम

40 साल पहले डॉल्फिन ट्रेनर रिचर्ड ओबराय ने देखा कि कैथी नाम की एक डॉल्फ़िन ने 1960 के एक टीवी शो फ्लिपर में खुद को मार लिया। डॉल्फ़िंस और व्हेल्स में एक विशेषता होती है कि वे हमारी तरह सांस नहीं लेतीं, बल्कि उनकी हर एक सांस उनका एक सचेत प्रयास (conscious effort) होती है। वे जब चाहें जिंदगी समाप्त कर सकती हैं। रिचर्ड कहते हैं कि कैथी उस दिन बहुत उदास थी। वो मेरी बाहों में तैर कर आई, मेरी आंखों में देखा, एक सांस ली, फिर दूसरी नहीं ली और वो टैंक में डूब गई। इस घटना ने रिचर्ड ओबराय को डॉल्फिन ट्रेनर से एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट में बदल दिया।
एक कुत्ता जिसने सुसाइड के किए कई प्रयास, अंत में हुआ सफल

सन 1845 में इल्यूट्रेटेड लंदन न्यूज़ ने एक रिपोर्ट दी, जिसमें एक न्यूफाउंडलैंड प्रजाति के एक काले, सुन्दर डॉग की आत्महत्या का जिक्र था। उस रिपोर्ट के अनुसार उस दिन वो डॉग अवसाद में दिख रहा था, कुछ देर बाद वो पानी में कूद गया और खुद को डुबाने की कोशिश करने लगा। डॉग को बचा लिया गया और बांध दिया गया। लेकिन उसे जैसे ही दुबारा खोल गया वो फिर पानी में कूद गया। ऐसा कई बार हुआ, आखिर में कई प्रयासों के बाद वो पानी में डूब कर मर गया।

जब 28 गायों ने एल्पेस की पहाड़ी से किया सुसाइड

अगस्त 2009 में स्विट्जरलैंड में 28 गाय और बैल एक ही पहाड़ी चट्टान से कूद कर मर गए। वैसे तो एल्पाइन रीजन में इस तरह की घटना आम बात है, लेकिन तीन दिन की छोटी सी अवधि में एक ही जगह से इतनी सारी गायों का कूद कर मरना दुर्लभ घटना थी। स्थानीय लोगों के अनुसार, तुफानों की भयंकर गर्जना इसके लिए जिम्मेदार होती है और वो ही पशुओ को ऐसा करने के लिए उकसाती है।
61 व्हेल्स का न्यूजीलैंड में एक साथ सुसाइड

साल 2011 के नवम्बर माह में 61 व्हेल्स एक साथ न्यूजीलैंड के एक बीच पर आ गयी, जिनमें से केवल 18 ही बच पायी। व्हेल्स ने ऐसा क्यों किया इसका कोई स्पष्ट कारण तो पता नहीं चला, लेकिन एक थ्योरी के अनुसार जब एक व्हेल कुछ ऐसा करती है, तो बाकी भी उसका अनुसरण करती है।
जब पहाड़ी चट्टान से कूद गर्इ 1500 भेड़

साल 2005 में तुर्की के एक पहाड़ी चट्टान से लगभल 1500 भेड़ें कूद गर्इ। उनमें से 450 भेडों की मौत हो गर्इ और बाकी भेड़ें बच गई, क्योंकि पहले गिरी भेड़ों ने गद्दे का काम किया।
जब भालू ने खाना छोड़कर मौत को लगाया गले

2012 में चीन में एक स्वस्थ भालू ने 10 दिनों तक खाना नहीं खाया और मर गया। Animal rights activist का कहना है की पिछले कुछ सालो में चीन में भालुओ की मौत के ऐसे कई केस देख चुके है। भालुओ के गॉल ब्लाडर में एक एंजाइम रस पाया जाता है जिसके लिए चीन में इसे पाला जाता है और छोटे – छोटे पिंजरों में रखा जाता है। इस रस की पारम्परिक चीन दवाइओ में बहुत मांग रहती है। इस रस को निकालने के लिए भालू के पेट में एक स्थायी चीरा लगाया जाता है, फिर एक कैथेटर ट्यूब डालकर वो रस निकाला जाता है। यह प्रकिया बहुत ही दर्दनाक होती है और आमतोर पर दिन में दो बार की जाती है।

नाइजीरिया में महिला ने बच्चे को नहीं बल्कि इस जानवर को दिया जन्म!

कुछ सच ऐसे होते हैं जिस पर यकीन करना ईश्वर पर यकीन करने जैसा होता है।अगर कोई कहे कि भगवान को मैंने देखा है तो शायद ही आप यकीन करेंगे। लेकिन जब कोई कहे कि किसी महिला ने एक घोड़े को जन्म दिया है तो आप शायद उसे पागल करार दे। लेकिन ये सच है।
नाइजीरिया में एक महिला ने चार पैरों वाले एक बच्चे को जन्म दिया। यह बच्चा देखने में बिल्कुल घोड़े की आकृति जैसा है। यह बात जो भी सुनता है वह सोच में पड़ जाता है कि ये कैसे हो सकता है। खबरों की मानें तो यह महिला प्राकृतिक तौर पर सामान्य महिलाओं की तरह प्रेगेंट थी।
अचानक से स्पाले-बेनिन रोड पर एक चर्च के बाहर उसे दर्द होने लगा। दर्द से तड़पती महिला की वहीं पर डिलीवरी कराई गई। डिलीवरी के दौरान वहां पर मौजूद लोग तब हैरत में पड़ गए जब उन्होंने चार पैरों वाले उस बच्चे को देखा। पहले परिवार को भी यह सुनकर यकीन नहीं हो रहा था, लेकिन बाद में वह बच्चे को देखकर वह हैरान रह गए। बच्चे का मुंह बगैरह भी घोड़े के जैसा ही है।
जैसे-जैसे इस बच्चे के बारे में लोगों को पता चलता जा रहा है वहां पर वैसे-वैसे ही लोगों की भीड़ उस बच्चे को देखने के लिए उमड़ती जा रही है।
इस बच्चे की तस्वीरें काफी तेजी से मीडिया में वायरल हो रही हैं। लोग इसे भगवान का चमात्कार मान रहे हैं।


रणसी गांव की इस भूतिया बावड़ी का किस्सा जान आप रह जाएंगे हैरान

मारवाड़ में हमेशा से ही पानी एक विकराल समस्या रही है। इससे बचने के लिए यहां के शासकों और रहवासियों ने पानी के भंडारण के लिए कई कुंए, बावडि़यां, हौद और टांके बनवाए थे। ज्यादातर बावडि़यां राजा-महाराजा, रानियों या पासवानों ने बनवाई थीं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जोधपुर के रणसी गांव में एक बावड़ी एेसी भी है, जिसे खुद भूत ने बनाया है!

जी हां, ये बिल्कुल सच है। जोधपुर से करीब 105 किलोमीटर दूर बोरूंदा थाना क्षेत्र में एक एेतिहासिक गांव है रणसी गांव... यहीं मौजूद है ये भूत बावड़ी। ये बावड़ी कलात्मकता का एक बेजोड़ नमूना है। करीब 200 फीट गहरी बावड़ी में नीचे जाने के लिए चारों ओर सीढि़यां बनी हैं और नक्काशी किए हुए कई खम्भे भी बने हैं, जो इसकी सुंदरता को निखारते हैं। बावड़ी के निर्माण में लॉक तकनीक पत्थरों को जोड़ा गया है, जो झूलते हुए दिखाई देते हैं। फोटो: सोहन लाल वैष्णव

ऋषि के शाप के बाद राजपूतों ने बसाया था रणसी गांव

इतिहास में इस बात का प्रमाण मिलता है कि जोधपुर से चाम्पावत राजपूतों की एक शाखा विभाजित हो गई थी, जो कापरड़ा गांव में आकर बस गए। कुंवारे राजपूतों ने इस गांव के एक संत की तपस्या को बाधित किया। उनके कुपित होने पर राजपूत युवाओं ने संत की बगीची भी उजाड़ दी। इससे संत ने क्रोधित हो कर पूरे चाम्पावत राजपूतों को शाप दिया। चाम्पावतों को शाप मिला कि कापरड़ा गांव में उनके वंशज जीवित नहीं रहेंगे। इस शाप के भय से चाम्पावत राजपूतों ने कापरड़ा गांव छोड़ दिया और एक दूसरी जगह जाकर बस गए। इस गांव को उन्होंने रणसी नाम दिया। इस तरह रणसी गांव अस्तित्व में आया। हालांकि ये रणसी गांव अब भूत द्वारा बनाई गई बावड़ी और महल के लिए ज्यादा प्रसिद्ध है। लोग दूर-दूर से इस गांव में बनी भूत बावड़ी और महल देखने आते हैं।

चाम्पावत ठाकुर ने भूत को वश में कर बनवाई बावड़ी

जोधपुर दरबार के मालदेव सिंह के यहां रणसी गांव के ठाकुर जयसिंह चाम्पावत ठकुराई का काम देखते थे। एक दिन ठाकुर गणगौर मेले में जोधपुर के राजा के किसी काम के लिए जा रहे थे। रास्ते में चिडाणी गांव स्थित लत्याळी नाडी में वे अपने घोड़े को पानी पिलाने के लिए रुके। उस समय रात काफी हो चुकी थी। ठाकुर का घोड़ा जब पानी पी रहा था, तभी ठाकुर को वहां एक झाड़ी के पीछे कुछ हलचल महसूस हुई। गौर से देखने पर ठाकुर को वह कोई भूतहा आकृति मालूम हुई। ठाकुर के बड़ी निर्भीकता से बोलने पर भूत उनके सामने प्रकट हुआ और बोला कि मैं एक शाप से बंधा हूं और इस नाडी का पानी नहीं पी सकता, आप मुझे पानी पिला दीजिए। पानी पीने के बाद उस भूत ने ठाकुर जयसिंह से कुछ खाने की सामग्री भी मांगी, जिसे लेने के बाद भूत ने ठाकुर से कुश्ती लडऩे की इच्छा जाहिर की।

कुश्ती में हारने के बाद भूत ने बनाई बावड़ी और महल

ठाकुर ने उसकी इच्छा सहर्ष स्वीकार कर ली। दोनों में कुश्ती हुई और ठाकुर जीत गया। जयसिंह ने भूत को अपने वश में कर लिया। भूत त्राहि-त्राहि करने लगा और उसने कहा कि आप मुझे जानें दें, बदले में जो आप कहेंगे, मैं करूंगा। ठाकुर ने अपने रणसी गांव में भूत को लोगों के लिए बावड़ी और अपने लिए सात खंडों (मंजिलों) का महल बनाने के निर्देश दिए। भूत ने इस काम के लिए हामी भर दी, लेकिन उसने एक शर्त रखी कि ये बात किसी को पता ना चले। साथ ही उसने ये भी कहा कि वो ये काम परोक्ष रूप से करेगा, जिसमें ठाकुर जो भी निर्माण कराएंगे, रात में भूत उसे 100 गुना अधिक बढ़ा देगा। ये राज यदि खुलेगा, तो ठाकुर का काम भी रुक जाएगा और उसके बाद भूत उसे पूरा नहीं कर पाएगा। ये बात विक्रम संवत् 1600 की है, जब रणसी गांव में अनोखा निर्माण कार्य शुरू हुआ। निर्माण करने वाले मजदूर भी हैरान थे कि दिन में वो जो भी निर्माण कार्य करते, अगले दिन वो कई गुना ज्यादा हो जाता था। गांव के लोग भी इस चमत्कार को देखने आने लगे।

ठकुराइन की जिद ने बंद करवाया निर्माण कार्य

बावड़ी और महल बनाने का कार्य प्रगति पर था। एक दिन ठाकुर जयसिंह की पत्नी ने इस अनोखे कार्य के विस्तार के बारे में पूछा। वचनबद्ध ठाकुर ने बताने से मना कर दिया। इससे नाराज ठकुराइन ने पति से बोलचाल बंद कर दी और खाना-पीना त्याग दिया। ठाकुर ने निर्माण बंद होने के डर से ठकुराइन को कुछ नहीं बताया, लेकिन दिन-प्रतिदिन ठकुराइन की तबीयत बिगड़ती गई और वो मृत्यु शैय्या पर पहुंच गई। इसे देखकर ठाकुर को अपनी जिद छोडऩी पड़ी और उसने ठकुराइन को सब कुछ बता दिया। जैसे ही ये राज खुला महल और बावड़ी का कार्य बंद हो गया। जो महल सात खंडों का बनना था, वो मात्र दो खंडों का बन कर रह गया। बावड़ी करीब-करीब पूरी बन चुकी थी, लेकिन उसकी एक दीवार अधूरी रह गई। राज खुलने के बाद ये दीवार भी नहीं बन पाई। रणसी गांव में भूत की बनाई बावड़ी और महल आज भी उसी अधूरी हालत में मौजूद हैं।