Tuesday 2 February 2016

4 मिनट की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 5 जजों की बेंच को भेजा केस

नई दिल्ली: गे रिलेशन क्राइम है या नहीं, इस पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। कोर्ट ने मंगलवार को चार मिनट की सुनवाई के बाद मामले को 5 जजों की बेंच को भेज दिया है।इस मामले में 8 क्यूरेटिव पिटीशन फाइल की गई हैं। बता दें कि आईपीसी की धारा 377 के तहत मौजूदा कानून में गे रिलेशन क्राइम है।
किसने दायर की हैं पिटीशंस...
- आईपीसी के सेक्शन 377 में होमोसेक्सुअलिटी को अपराध माना गया है।
- गे रिलेशन की वकालत करने वाले इसे फंडामेंटल राइट्स का वायलेशन मानते हैं और इसके लिए वे कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
- पिटीशंस गे राइट्स एक्टिविस्ट्स और एनजीओ नाज फाउंडेशन की तरफ से दायर की है। ये लोग लेस्बियन, गे, बाइसैक्सुअल, ट्रांसजेंडर (एलजीबीटी) के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।
किसने की सुनवाई

- इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के तीन जज चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर, जस्टिस एआर दवे और जस्टिस जगदीश सिंह केहर की बेंच ने की।
- हालांकि, क्यूरेटिव पिटीशन की सुनवाई चैंबर में होती है, लेकिन आज खुली अदालत में हुई।
क्या होती है क्यूरेटिव पिटीशन
- सुप्रीम कोर्ट के जज भी गलती कर सकते हैं। ऐसे में यदि कोर्ट के अंतिम फैसले में कोई गलती रह गई तो क्या उसका नतीजा बेकसूर भुगतेंगे?
- जब यह सवाल 2002 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच के सामने आया तो उसने क्यूरेटिव पिटीशन यानी सुधार याचिका की व्यवस्था दी।
- रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा मामले में पहली बार इसका इस्तेमाल किया गया।
- सरल शब्दों में संविधान के सेक्शन 137 के तहत दाखिल रिव्यू पिटीशन के खारिज होने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट से फैसले को रिव्यू करने की गुजारिश की जा सकती है।
- यह व्यवस्था तत्कालीन चीफ जस्टिस एसपी भरूचा, जस्टिस सैयद मोहम्मद कादरी, जस्टिस यूसी बनर्जी, जस्टिस एसएन वरियावा और जस्टिस शिवराज वी. पाटिल की संविधान बेंच ने दी थी।
क्यूरेटिव पिटीशन का प्रॉसेस
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 30 दिन के भीतर रिव्यू पिटीशन दाखिल की जा सकती है। लेकिन क्यूरेटिव पिटीशन के लिए समय सीमा नहीं है।
- क्यूरेटिव पिटीशन कोई सीनियर एडवोकेट ही दाखिल कर सकता है। याचिका सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के तीन सबसे सीनियर जजों की बेंच के पास जाती है।
- अगर बेंच को लगता है कि याचिका में उठाए गए मुद्दे वाजिब हैं तो वह सुनवाई के लिए उसे मंजूर कर सकते हैं।
- यह याचिका उन जजों को भी देनी होती है, जिन्होंने रिव्यू पिटीशन पर फैसला सुनाया था।

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